Rahul Gandhi Press Conference: “महाराष्ट्र-कर्नाटक चुनावों में बड़े पैमाने पर हुई वोटर धांधली”, राहुल गांधी ने ‘सबूत’ देते हुए..

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में व्यापक पैमाने पर वोटर लिस्ट में हेराफेरी और फर्जी मतदान हुआ। उन्होंने इसे “चुनावी प्रक्रिया में सुनियोजित धांधली” बताया।
प्रमुख आरोप और दावे:
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महाराष्ट्र में ‘संदिग्ध’ मतदाता: गांधी ने दावा किया कि महाराष्ट्र चुनावों में 40 लाख से अधिक संदिग्ध मतदाता थे। चुनाव आयोग ने डिजिटल वोटर लिस्ट देने से मना कर दिया, जिसके बाद कागजी दस्तावेजों की छानबीन में यह बात सामने आई।
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एग्जिट पोल और नतीजों में बड़ा अंतर: उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल के अनुमान और वास्तविक परिणामों में बहुत बड़ा अंतर था, जो संदेह पैदा करता है। उन्होंने “लाडली बहना”, “पुलवामा” और “सिन्दूर” जैसी योजनाओं के बावजूद भाजपा के खिलाफ ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ प्रभाव न दिखने पर सवाल उठाया।
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कर्नाटक में ‘फर्जी वोटर’ का खेल: बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के विश्लेषण का हवाला देते हुए गांधी ने बताया कि महादेवपुरा विधानसभा सीट पर लगभग 1 लाख फर्जी मतदाता बनाए गए थे, जिसके चलते भाजपा ने वहां भारी अंतर से जीत हासिल की और इसका असर लोकसभा सीट पर पड़ा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में 16 सीटों पर जीत का अनुमान था, लेकिन सिर्फ 9 सीटें ही मिलीं।
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वोटर लिस्ट में धांधली के ‘सबूत’: राहुल गांधी ने कथित धांधली के कई उदाहरण पेश किए:
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डुप्लीकेट वोटर: गुरकीरत सिंह डैंग (4 जगहों पर वोटर आईडी), आदित्य श्रीवास्तव (कर्नाटक, महाराष्ट्र, यूपी में वोटर आईडी)।
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फर्जी पते: 40,009 वोटर कार्ड पर अवैध पते (जैसे हाउस नंबर ‘0’, अजीब पिता के नाम)। एक ही कमरे में 50-80 लोगों का पता दर्ज। पड़ताल करने वालों को धमकियां दी गईं।
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बिना/छोटी फोटो वाले कार्ड: 4,132 वोटर कार्ड पर फोटो नहीं थी या बहुत छोटी थी।
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संदिग्ध ‘नए वोटर’: 33,692 नए मतदाता जोड़े गए। इनमें एक 70 वर्षीय महिला का नाम दो जगहों पर था, जिसने दावे के अनुसार दोनों जगह वोट डाला।
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आयोग और सरकार पर सीधा हमला:
गांधी ने सीधे तौर पर चुनाव आयोग और भाजपा के बीच ‘मिलीभगत’ का आरोप लगाया। उन्होंने पूछा, “चुनाव आयोग इन फर्जी वोटरों को क्यों बचा रहा है? वोटिंग का इलेक्ट्रॉनिक डेटा क्यों नहीं देता?” उन्होंने आयोग पर पारदर्शिता से पल्ला झाड़ने का भी आरोप लगाया।
राहुल गांधी के इन गंभीर आरोपों ने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ कांग्रेस की हार का मामला नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की अखंडता का प्रश्न है। अब नजर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया पर है, जिसे इन आरोपों का जवाब देना होगा और मतदाता सूचियों की पारदर्शी जांच सुनिश्चित करनी होगी।