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Saif Ali Khan Enemy Property Case: क्या सैफ अली खान की 15,000 करोड़ की संपत्ति जाएगी सरकार के पास?

Saif Ali Khan Enemy Property Case: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान और उनके परिवार की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति विवादों में घिर गई है। यह मामला शत्रु संपत्ति से जुड़ा है, और अब इस पर सरकार का हक हो सकता है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस संपत्ति से स्टे हटाते हुए पटौदी परिवार को 30 दिनों में अपीलीय प्राधिकरण के सामने पक्ष रखने का आदेश दिया था। यह समयसीमा 12 जनवरी 2025 को समाप्त हो गई, और खबरों के मुताबिक, 23 जनवरी तक सैफ अली खान ने अपील दाखिल नहीं की है। अब सवाल यह है कि यह मामला क्या है, भोपाल के नवाब का असली वारिस कौन है, और यह संपत्ति सरकार की क्यों हो सकती है?

भोपाल रियासत की संपत्ति और नवाब का इतिहास

इस विवाद में जो 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है, वह भोपाल रियासत की है। भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान थे, जो मोहम्मद अली जिन्ना के करीबी माने जाते थे। जिन्ना की मदद से नवाब भोपाल को पाकिस्तान में शामिल करना चाहते थे, लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, भोपाल का भारत में विलय हो गया। नवाब हमीदुल्लाह खान की तीन बेटियां थीं- आबिदा सुल्तान, राबिया सुल्तान, और साजिदा सुल्तान।

बंटवारे के बाद नवाब की सबसे बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गईं और वहां की नागरिक बन गईं। नवाब का निधन 1960 में हुआ। उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान भारत में ही रहीं थी और उन्हें नवाब की संपत्ति का वारिस घोषित किया गया। साजिदा ने नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी से शादी की, और उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी (टाइगर पटौदी) ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेला। मंसूर अली खान पटौदी और अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के बेटे सैफ अली खान भोपाल रियासत की संपत्ति के मौजूदा वारिस माने जाते हैं।

शत्रु संपत्ति क्या होती है?

शत्रु संपत्ति उन व्यक्तियों की संपत्ति होती है, जो भारत छोड़कर उन देशों के नागरिक बन गए, जिन्हें भारत ने शत्रु देश घोषित किया। 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, भारत में शत्रु संपत्ति कानून लागू किया गया। इस कानून के तहत, जो लोग पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ले चुके थे, उनकी भारत में मौजूद संपत्तियां केंद्र सरकार के अधीन कर दी गईं। 2017 में इस कानून में संशोधन किया गया, जिससे शत्रु संपत्ति के दायरे में उनके कानूनी वारिस भी शामिल हो गए, भले ही वे भारत के नागरिक हों या किसी अन्य देश के।

पटौदी परिवार और शत्रु संपत्ति विवाद

2015 में शत्रु संपत्ति विभाग ने भोपाल के नवाब की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया। सरकार का कहना था कि नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति की वैध वारिस उनकी बड़ी बेटी आबिदा थीं, जो पाकिस्तान चली गईं। इसलिए यह संपत्ति शत्रु संपत्ति कानून के तहत आती है।

सैफ अली खान और उनकी मां शर्मिला टैगोर ने इस फैसले को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी। 2019 में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि सैफ की दादी साजिदा ही संपत्ति की कानूनी वारिस थीं। हालांकि, शत्रु संपत्ति विभाग ने 2025 में फिर से इस मामले में दावा किया और सैफ अली खान को स्टे हटाने का नोटिस जारी किया।

कोर्ट का फैसला और मौजूदा स्थिति

13 दिसंबर 2024 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सैफ अली खान की याचिका खारिज कर दी और स्टे हटा दिया। कोर्ट ने पटौदी परिवार को 30 दिनों के भीतर शत्रु संपत्ति विभाग के सामने अपना पक्ष रखने का समय दिया। 23 जनवरी 2025 तक सैफ ने कोई अपील नहीं की, जिससे अब यह संपत्ति सरकार के अधीन जा सकती है। हालांकि, सैफ अली खान के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प अभी भी बचा है।

भोपाल की शत्रु संपत्तियां

इस विवादित संपत्ति में फ्लैग स्टाफ हाउस (जहां सैफ ने अपना बचपन बिताया), नूर-उस-सबाह पैलेस (अब एक होटल), दार-उस-सलाम, अहमदाबाद पैलेस, और कोहेफिजा जैसे प्रमुख स्थान शामिल हैं।

नतीजा क्या हो सकता है?

अगर सैफ अली खान सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करते, तो यह संपत्ति शत्रु संपत्ति कानून के तहत सरकार के अधीन चली जाएगी।

Vishal kumar

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