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Divorce Temple in Japan: एक मंदिर जहां होता है तलाक का फैसला! जानिए इस रहस्यमयी जगह के बारे में

दुनिया में कई मंदिर हैं, जो अपनी धार्मिक मान्यताओं, वास्तुकला या परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जापान में एक ऐसा मंदिर है जिसे “तलाक का मंदिर” (Divorce Temple) के नाम से जाना जाता है? यह मंदिर खासतौर पर उन महिलाओं के लिए एक शरण स्थल है, जो घरेलू हिंसा, अत्याचार या असंतोषजनक वैवाहिक जीवन से मुक्ति की तलाश में हैं। इस मंदिर का नाम “एंगाकु-जी” है, और यह जापान के कामाकुरा शहर में स्थित है। यहां आकर महिलाएं न केवल शारीरिक और मानसिक शांति पाती हैं, बल्कि अपने जीवन के नए लक्ष्य निर्धारित करती हैं। आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में और इसके इतिहास को।

घरेलू हिंसा से मुक्ति का प्रतीक

एंगाकु-जी मंदिर की स्थापना जापान के एक अंधेरे समय में हुई थी, जब महिलाओं के अधिकार बहुत सीमित थे और वे आसानी से पुरुषों द्वारा शोषण का शिकार हो जाती थीं। उस समय महिलाओं को तलाक लेना तो दूर, अपने पति के अत्याचारों से बचने के लिए कोई रास्ता नहीं मिलता था। इस संकट को समझते हुए, बौद्ध नन काकुसन ने इस मंदिर की स्थापना की थी। काकुसन खुद भी एक असंतोषजनक विवाह में फंसी हुई थीं और उन्होंने एक ऐसे स्थान की कल्पना की, जहां महिलाएं शांति से अपने जीवन को नए सिरे से शुरू कर सकें। इस मंदिर के दरवाजे उन महिलाओं के लिए हमेशा खुले रहे हैं जो घरेलू हिंसा से भागकर यहां शरण लेती थीं।

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700 साल पुराना मंदिर

यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना है और इसका इतिहास भी उतना ही दिलचस्प है। काकुसन और उनके पति होजो टोकीमून ने मिलकर इस मंदिर का निर्माण किया था। उस समय महिलाओं के पास तलाक लेने का कोई अधिकार नहीं था और वे पति की क्रूरता को सहने के लिए मजबूर होती थीं। इसलिए इस मंदिर को एक सुरक्षित स्थान के रूप में स्थापित किया गया, जहां महिलाएं न केवल शारीरिक सुरक्षा पा सकें, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त कर सकें। यह मंदिर आज भी महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक है और उनकी आत्मनिर्भरता के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।

तलाकशुदा महिलाओं के लिए सुरक्षा का स्थान

पहले इस मंदिर में महिलाएं अपने पति से तलाक लेने के लिए तीन साल तक रह सकती थीं, बाद में यह समय घटाकर दो साल कर दिया गया। यहां रहकर महिलाएं शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ होती थीं, और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता था। कई सालों तक, इस मंदिर में केवल महिलाओं का प्रवेश था, और वे यहां रहकर अपनी जिंदगी को फिर से संवारने के लिए प्रेरित होती थीं।

पुरुषों का प्रवेश और मंदिर का वर्तमान

1902 में जब एंगाकु-जी मंदिर पर कब्जा किया गया, तो मंदिर में पुरुष मठाधीश नियुक्त किए गए और फिर पुरुषों को भी यहां प्रवेश मिल गया। हालांकि, आज भी यह मंदिर उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक स्थान है जो अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं। यहां आकर महिलाएं न केवल शारीरिक और मानसिक शांति पाती हैं, बल्कि अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने की प्रेरणा भी प्राप्त करती हैं।

Vishal kumar

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