1200 करोड़ अवैध खनन घोटाला: चुनाव से पहले CBI की ताबड़तोड़ छापेमारी, बिहार-बंगाल तक मचा हड़कंप

रांची-पटना: झारखंड में विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ आठ दिन शेष हैं, और इसी बीच अवैध खनन मामले ने फिर से सियासत गरमा दी है। सीबीआई ने नींबू पहाड़ अवैध खनन घोटाले की जांच को आगे बढ़ाते हुए झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में छापेमारी की। बताया जा रहा है कि जांच एजेंसी ने कुल 16 जगहों पर रेड की—इनमें 14 स्थान झारखंड (11 साहिबगंज और 3 रांची), एक कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और एक पटना (बिहार) शामिल हैं।
इस अभियान में सीबीआई को भारी मात्रा में नकदी और बहुमूल्य सामान मिले। अब तक की जानकारी के अनुसार, लगभग 60 लाख रुपये कैश, करीब एक किलो सोना, सवा किलो चांदी और कई सोने-चांदी के आभूषण बरामद किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, एजेंसी ने मोबाइल फोन, 61 जिंदा कारतूस (9 मिमी), विभिन्न संपत्तियों की बिक्री से जुड़े दस्तावेज, शेल कंपनियों और निवेश से जुड़े कागजात, रिवाल्वर लाइसेंस और कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी जब्त किए हैं।
जिन लोगों पर छापेमारी की गई, वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के करीबी माने जाते हैं। पंकज मिश्रा पहले से ही इस अवैध माइनिंग केस के मुख्य आरोपियों में शामिल हैं। मिर्जाचौकी के कारोबारी रंजन वर्मा के ठिकाने से करीब छह लाख रुपये और चांदी जब्त की गई। वहीं, उधवा के बड़े व्यापारी महताब आलम के घर से खनन से जुड़े दस्तावेज, बैंक पासबुक और हथियारों के कागजात मिले। साहिबगंज जिले में संजय जायसवाल, सुब्रतो पाल, टिंकल भगत, अवध किशोर सिंह उर्फ पतरु सिंह, भगवान भगत और कृष्णा शाह के यहां भी छापेमारी हुई। पटना में भी कार्रवाई की गई, लेकिन वहां से क्या बरामद हुआ है, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
नींबू पहाड़ खनन विवाद क्या है?
करीब 1200 करोड़ रुपये के नींबू पहाड़ अवैध खनन घोटाले की शुरुआत तब उजागर हुई जब आसपास के ग्रामीणों ने खनन से अपने घरों में दरारें पड़ने की शिकायत की। यह विरोध 2 मई 2022 को सामने आया, जब गांव वालों ने खनन कार्य को रोकने की मांग की थी। शुरुआत में कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन ग्रामीण लगातार संघर्ष करते रहे और आखिरकार मामला पुलिस और जांच एजेंसियों तक पहुंच गया।
सीएम प्रतिनिधि पर गंभीर आरोप
इस मामले में साहिबगंज के ग्रामीण विजय हांसदा ने एसटी-एससी थाने में सीएम के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा समेत उनके सहयोगियों विष्णु यादव, पवित्र यादव, राजेश यादव, बच्चू यादव, संजय यादव और सुभाष यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसी आधार पर ईडी ने 8 जुलाई 2022 को पहली बड़ी छापेमारी की थी। उस दौरान भी कई पत्थर कारोबारियों और ठेकेदारों से जुड़ी अहम जानकारियां सामने आई थीं, जिनमें पंकज मिश्रा का नाम विशेष रूप से शामिल था।
पंकज मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने साहिबगंज इलाके में 1200 करोड़ से अधिक की अवैध खनन कराई और उससे मोटी कमाई की। साथ ही उन पर सरकारी टेंडरों में गड़बड़ी और प्रभावशाली लोगों के साथ सांठगांठ कर अनुचित लाभ उठाने के भी आरोप हैं। इन आरोपों की पुष्टि के लिए ईडी और सीबीआई ने कई बार उनसे पूछताछ की और आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।