नई कार खरीदते समय इंश्योरेंस और ईएमआई मैनेजमेंट की पूरी गाइड

नई कार खरीदना किसी सपने के सच होने जैसा एहसास होता है। लेकिन इस खुशी के साथ एक बड़ा सवाल भी सामने आता है – “इंश्योरेंस और ईएमआई को कैसे मैनेज करें?” अगर सही योजना नहीं बनाई जाए तो ईएमआई बोझ बन सकती है और इंश्योरेंस भी परेशानी का कारण। इसलिए ज़रूरी है कि इन दोनों पहलुओं को समझदारी से संभाला जाए, ताकि कार खरीदने की खुशी लंबे समय तक बनी रहे।
इंश्योरेंस का महत्व
कार इंश्योरेंस सिर्फ़ कानूनी ज़रूरत ही नहीं बल्कि आपके वाहन और जेब की सुरक्षा भी है। किसी दुर्घटना या चोरी की स्थिति में यही सबसे बड़ा सहारा बनता है। एक कम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस पॉलिसी में वाहन के साथ-साथ थर्ड पार्टी को होने वाले नुकसान की भी भरपाई होती है। वहीं, यदि बजट सीमित है तो केवल थर्ड पार्टी इंश्योरेंस भी लिया जा सकता है, लेकिन इसमें आपकी कार की मरम्मत का खर्च शामिल नहीं होता। इसलिए शुरुआत से ही सही पॉलिसी चुनना समझदारी है।
सही इंश्योरेंस प्लान चुनना
अक्सर लोग केवल प्रीमियम देखकर इंश्योरेंस प्लान चुन लेते हैं, लेकिन यह बड़ी गलती हो सकती है। ज़रूरी है कि यह देखा जाए कि पॉलिसी में क्या-क्या कवर किया जा रहा है। ज़ीरो डिप्रिशिएशन कवर, रोडसाइड असिस्टेंस और इंजन प्रोटेक्शन जैसे ऐड-ऑन लेने से इंश्योरेंस और भी फ़ायदेमंद हो जाता है। साथ ही, विभिन्न कंपनियों के प्रीमियम और उनके लाभों की तुलना करना भी आवश्यक है।
ईएमआई मैनेजमेंट
कार खरीदते समय सबसे बड़ी चिंता ईएमआई की होती है। कई लोग सिर्फ़ कार की ऑन-रोड कीमत देखते हैं और ईएमआई की सही गणना नहीं करते। नियम यह है कि ईएमआई आपकी मासिक आय का केवल 15-20% हिस्सा ही होना चाहिए। अगर ईएमआई ज़्यादा हो गई तो न केवल खर्चे प्रभावित होंगे बल्कि बचत पर भी असर पड़ेगा।
ईएमआई बचत की रणनीति
जितना अधिक डाउन पेमेंट किया जाएगा, उतनी ही कम ईएमआई बनेगी। उदाहरण के लिए, अगर कार की कीमत 8 लाख रुपये है और आप 3 लाख रुपये डाउन पेमेंट करते हैं, तो लोन राशि 5 लाख रुपये होगी और ईएमआई आसानी से मैनेज की जा सकेगी। इसके अलावा लोन की अवधि भी सोच-समझकर तय करनी चाहिए। लंबी अवधि में ईएमआई कम हो जाएगी, लेकिन ब्याज अधिक देना होगा। वहीं, कम अवधि का लोन ब्याज बचाएगा लेकिन ईएमआई थोड़ी भारी पड़ सकती है।
बजट प्लानिंग
इंश्योरेंस और ईएमआई को लेकर सबसे अहम बात है सही बजट बनाना। कार खरीदने से पहले अपने मासिक खर्चों और आय का विश्लेषण करें। यह तय करें कि कार की ईएमआई और इंश्योरेंस प्रीमियम बिना वित्तीय दबाव के कैसे चुकाया जा सकता है। अगर पहले से कोई पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड बिल का बोझ है, तो नई कार की ईएमआई जोड़ने से पहले अच्छी तरह विचार करना चाहिए।