29 फरवरी के बाद क्यों खत्म हो जाती है डेट ? किस देश के कैलेंडर में थी 30 तारीख
जिन लोगों का बर्थडे 29 फरवरी को आता है वह 4 साल में एक बार अपना बर्थडे मनाते हैं। फरवरी में यह तो आपने देखा है 28 29 दिन ही होते हैं। इसके बाद एक मार्च की तारीख शुरू हो जाती है, लेकिन क्या आप इसके इतिहास के बारे में जानते हैं जब दो मौकों पर 30 फरवरी की तारीख भी आ चुकी है। आज हम आपको उन दो मौकों के बारे में बताने वाले हैं, यह तो हम जानते ही हैं कि फरवरी में 28 दिन होते हैं। हर 4 साल के बाद एक दिन बढ़ जाता है जिसकी वजह से 29 दिन भी हो जाते हैं, लेकिन क्या आपको इसका कारण मालूम है ऐसा क्यों होता है ? क्या आप जानते हैं कि 30 फरवरी की तारीख भी आती है ?
जूलियन कैलेंडर में आती है डेट
इतिहास में आज भी ऐसे दो मौके हैं जब 30 फरवरी की डेट कैलेंडर में आती है सबसे पहले बात स्वीडन की करते हैं। 70 के दौर में फिनलैंड भी स्वीडन का ही हिस्सा हुआ करता था। तब स्वीडन नहीं यह तय किया था कि, वह जूलियन कैलेंडर से शिफ्ट होकर ग्रे गोरियन कैलेंडर की तरफ बढ़ेंगे जूलियन कैलेंडर में साल 1700 एक लीप ईयर होना चाहिए था। लेकिन स्वीडन में लीप ईयर नहीं मनाया गया था, लेकिन एक गड़बड़ी हुई और 1704, 1708 के साल को लीप ईयर में लिया गया। देश जूलियन और ग्रेगोरियन कैलेंडर दोनों ही मामलों में पीछे हो गया है, तब देश में यह सोचा की जूलियन कैलेंडर की ओर दोबारा लौट जाए स्वीडन में 30 फरवरी 1712 की तारीख तय की गई है क्योंकि उसे साल जूलियन कैलेंडर को अपनाया गया और दो लीप को जोड़ा गया।
30 फरवरी की डेट शामिल
साल 1753 में ग्रेगोरियन कैलेंडर की और स्वीडन बढ़ता गया और हैरानी की बात तो यह है कि उसे साल 11 दिन का कलेक्शन मानकर 17 फरवरी के बाद सीधे 1 मार्च का दिन तय कर दिया गया इस तरह से लोगों को यह लगा कि उनकी जिंदगी के 11 दिन चुरा लिए गए हैं। इतिहास में 30 फरवरी का दूसरा मौका सोवियत रिवॉल्यूशनरी कैलेंडर के अनुसार देखने को मिलता है। इतना ही नहीं सोवियत यूनियन ने 1929 में एक रिवॉल्यूशनरी कैलेंडर को लागू किया था, जो 1930 से 31 तक के लिए था इसमें 30 फरवरी की डेट शामिल की गई थी।