CG News: गरियाबंद प्रशासन ने पटवारी को दी बर्खास्तगी की सजा, विभागीय जांच में फंसे पटवारी

तहसील देवभोग में पदस्थ पटवारी योगेन्द्र ठाकुर को उनकी लापरवाही, कार्यालय में नियमित अनुपस्थिति तथा विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण न कर पाने के आरोपों के आधार पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। गरियाबंद कलेक्टर द्वारा 14 जुलाई को जारी एक आदेश में इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। आदेश के अनुसार, श्री ठाकुर को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के प्रावधानों के तहत सेवा से हटाया गया है।
जानकारी के मुताबिक, श्री ठाकुर को वर्ष 2018 में प्रशिक्षु पटवारी के पद पर अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया था। इस नियुक्ति की एक प्रमुख शर्त यह थी कि उन्हें छह माह के भीतर विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। हालांकि, उन्हें चार बार अवसर दिए जाने के बावजूद वह इस परीक्षा में सफल नहीं हो सके। इसके अलावा, उन पर निरंतर अनुपस्थित रहने, कार्यों में गंभीर लापरवाही बरतने तथा कार्यालयीन निर्देशों की अवज्ञा करने के आरोप भी सिद्ध हुए।
विभागीय जाँच में यह तथ्य सामने आया कि श्री ठाकुर ने वर्ष 2021 और 2022 में बिना अनुमति या औचित्यपूर्ण कारण बताए लंबी अवधि तक कार्यालय से अनुपस्थित रहने की प्रवृत्ति दिखाई। विभाग द्वारा कई बार उन्हें नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण माँगा गया, लेकिन उन्होंने न तो समय पर जवाब दिया और न ही अपना पक्ष रखा। अंततः, उन्हें पर्याप्त अवसर दिए जाने के बाद भी जब कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं हुआ, तो प्रशासन ने उन्हें पद से हटाने का निर्णय लिया।
इसी प्रकार, तहसील देवभोग के एक अन्य पटवारी ऐशेश्वर सिंह कोमर्रा को भी उनकी लगातार लापरवाही, विभागीय परीक्षा में असफलता तथा बिना सूचना के वर्षों तक अनुपस्थित रहने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। गरियाबंद कलेक्टर के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि कोमर्रा पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम, 1966 के तहत विभागीय जाँच के बाद कार्रवाई करते हुए उन्हें दीर्घशास्ति (बर्खास्तगी) की सजा दी गई है।
कोमर्रा की नियुक्ति से बर्खास्तगी तक का सफर:
श्री कोमर्रा को वर्ष 2015 में छह माह की अस्थायी अवधि के लिए नियुक्त किया गया था, जिसमें यह शर्त शामिल थी कि उन्हें निर्धारित समय सीमा में विभागीय परीक्षा पास करनी होगी। लेकिन सात वर्ष बीत जाने के बाद भी वह इस परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सके। इसके अतिरिक्त, मार्च 2017 से वह बिना किसी सूचना या औचित्य के लगातार कार्यालय से अनुपस्थित रहे।
विभाग द्वारा कई बार नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण माँगा गया, लेकिन उन्होंने या तो कोई जवाब नहीं दिया या उनका जवाब असंतोषजनक रहा। अंतिम जाँच रिपोर्ट में उन्हें “शासकीय सेवा के प्रति अनुपयुक्त” और “गंभीर कदाचार में लिप्त” पाया गया।
यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशानुसार तथा सिविल सेवा नियमों के अंतर्गत की गई है। आदेश के अनुसार, यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू माना जाएगा।
इस आदेश की प्रतियाँ राजस्व विभाग के सचिव, भू-अभिलेख आयुक्त, संभागीय आयुक्त, तहसीलदार देवभोग, जिला कोषालय अधिकारी, जनसंपर्क विभाग तथा स्वयं योगेन्द्र ठाकुर को भेजी गई हैं।